नमाज
जब तुम #नमाज पढ़ते हो तो तुम अपने शरीर से #ब्रह्मांड का एक हिस्सा बन जाते हो ; जिसमें दौलत , आयु , #जाती या #धर्म - पंथ का कोइ भेदभाव नहीं होता ।'
तो फिर किस बात का तुम सब भेदभाव करते हो l सभी मुस्लिम बोलते है। की हम कट्टर मुस्लिम है।; तो फिर तुम अपने पवित्र कुरान , नमाज़ को लेकर कट्टर क्यों नहीं हो मुझे नहीं लगता कि कुरान , नमाज़ कभी गलत का शिक्षा देते हैं। कोइ भी धर्म के पवित्र ग्रंथ हमे गलत शिक्षा देती ही नहीं है। फिर क्यों जिस मौलाना को इस्लाम धर्म में शिक्षक का दर्जा दिया जाता है। फिर वो मौलाना इस्लाम धर्म के लोगों को गलत राह पर कैसे ले जा सकते हैं। इस्लाम धर्म सिखाता है , की अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और आज्ञाकारिता का प्रतीक है। तो कोई अल्लाह भगवान ये तो नहीं सिखाते होगे की अपने ही मूलक के प्रति विद्रोह करे। फिर क्यों इस्लाम धर्म के कुछ लोग अपने ही मूलक और उस मूलक में रहने वाले लोग के प्रति हिंसा के भावना रखते हैं। फिर क्यों उस मूलक में रहने वाले दूसरे धर्म के लोग के प्रति हिंसा का भावना रखते हैं, इस्लाम धर्म में पाँच फर्ज होते हैं। कलमा, नमाज,जकात,रोजा, और हज - क्या ये फर्ज हमे हिंसा सीखते हैं। नहीं ये हमे हिंसा नहीं, ब्लकि प्यार और साथ रहना सीखते हैं। ब्लकि जिन्हें हम शिक्षक का दर्जा दिए हुए हैं, जो कि कुछ एसे मौलाना है। जो इस्लाम धर्म के लोग को गलत बताते हैं, और फिर इस्लाम धर्म के कुछ लोग गलत राह पर चलने लगते है , और वो लोग हिंसा का भावना रखते हैं। ब्लकि नमाज़ हमे आदर और भक्ति में झुकना सिखाते हैं ना की दूसरे धर्मों के प्रति गलत भावना। जब नमाज , कुरान हमे अच्छाई सिखाते हैं तो इस्लाम धर्म के कुछ लोग अपने ही मूलक के प्रति वफादार क्यों नहीं होते कोइ भी धर्म या कोई भी पवित्र ग्रंथ , हमे दूसरों के धर्म से बगावत करना नहीं सिखाती।
ये मेरा शब्द देश के गद्दारों के प्रति और हिंसा वाले लोग के प्रति है ?
Writer - chintu singh sisodiya
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