मैं नालंदा विश्वविद्यालय बोल रहा हूँ
मेरे बारे में आपने सुना ही होगा। ऐतिहासिक के प्रमाण के अनुसार मैं अपने स्थापना के बारे में बता देना चाहता हूं । तो मेरा स्थापना गुप्तकालीन सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 413 - 455 ईस्वी पूर्व में की अगर मैं बोलूं तो मेरा स्थापना 5 वी शताब्दी में हुआ। मैं इतना बड़ा और सुंदर था कि मेरे प्रांगण में आने वाले इंसान प्यार और स्नेह से भर जाया करते थे। मेरी लंबाई 800 फीट थी चौड़ाई 1600 फिट थी मैं 30 एकड़ मैं फैला था और मेरे अंदर की कहानी के बारे में आगे आप खुद जान जाइएगा। हां तो मैं नालंदा विश्वविद्यालय बोल रहा हूं। तो मेरे बारे में तो आपने बहुत कुछ सुना ही होगा क्योंकि मेरा इतिहास कुछ अनोखा है मैं ज्ञान का भंडार था मैं नई उड़ान का पुरानी पहचान था मुझ में बस्ती थी एक अलग दुनिया जिससे मैं खुद में ही एक पहचान था चाहत थी की खुद को और बड़ा बनाऊं मैं , मैं ज्ञान की इस सागर में एक अलग ज्ञानी था चीर कर बादलों को मंजिल तक पहुंचाने वाला मैं एक अलग अभिमानी था सबसे पहले आप सबको मैं बता देना चाहता हूं कि मैं रहता कहां था तो मैं बिहार राज्य के एक बड़े से जिले में निवास ...
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