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सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएगें।

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सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे छोडो मेहँदी खडक संभालो, खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाये बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जायेंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे | कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचायेंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयेंगे | कल तक केवल अँधा राजा,अब गूंगा बहरा भी है होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझायेंगे? सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंदना आयेंगे |

नमाज

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जब तुम #नमाज पढ़ते हो तो तुम अपने शरीर से #ब्रह्मांड का एक हिस्सा बन जाते हो ; जिसमें दौलत , आयु , #जाती या #धर्म - पंथ का कोइ भेदभाव नहीं होता ।'  तो फिर किस बात का तुम सब भेदभाव करते हो l सभी मुस्लिम बोलते है। की हम कट्टर मुस्लिम है।; तो फिर तुम अपने पवित्र कुरान , नमाज़ को लेकर कट्टर क्यों नहीं हो मुझे नहीं लगता कि कुरान , नमाज़ कभी गलत का शिक्षा देते हैं। कोइ भी धर्म के पवित्र ग्रंथ हमे गलत शिक्षा देती ही नहीं है। फिर क्यों जिस मौलाना को इस्लाम धर्म में शिक्षक का दर्जा दिया जाता है। फिर वो मौलाना इस्लाम धर्म के लोगों को गलत राह पर कैसे ले जा सकते हैं। इस्लाम धर्म सिखाता है , की अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और आज्ञाकारिता का प्रतीक है। तो कोई अल्लाह भगवान ये तो नहीं सिखाते होगे की अपने ही मूलक के प्रति विद्रोह करे। फिर क्यों इस्लाम धर्म के कुछ लोग अपने ही मूलक और उस मूलक में रहने वाले लोग के प्रति हिंसा के भावना रखते हैं। फिर क्यों उस मूलक में रहने वाले दूसरे धर्म के लोग के प्रति हिंसा का भावना रखते हैं, इस्लाम धर्म में पाँच फर्ज होते हैं। कलमा, नमाज,जकात...