जिंदगी
पंछी को उड़ना था पिंजरे की मजबूरी थी पंख तो सलामत है पर आजादी कहां थी परिवार से मिलना था अनकही जो इच्छा थी अरे किस्मत तो खुद की थी मगर खुद के हाथ में कहा थी Chintu singh sisodiya